उकठा रोग
यह अरहर की बहुत ही महत्वपूर्ण बीमारी है। इस रोग का प्रकोप देश के उत्तरी पूर्वी मैदानी क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, दक्षिणी क्षेत्रों में होता हैं।
यह रोग एक मृदाजनित कवक फ्यूजेरियम उडम द्वारा होता है। इसका संक्रमण पौधां की जड़ों से होता हुआ तने में ऊपर की ओर बढ़ता है।
लक्षण
यह रोग पौधे को किसी भी अवस्था में संक्रमित कर सकता है। इस रोग का संक्रमण प्रायः देर से पकने वाली प्रजातियों में अत्यधिक होता है। रोग की प्रारम्भिक अवस्था में पौधों की पत्तियाँ मुरझाकर पीली पड़ने लगती है। संक्रमित पौधे दूर से ही पहचाने जा सकते हैं। अन्त में पौधा पूर्ण रुप से सूखकर मर जाता है। रोग की उग्र अवस्था में रोगग्रस्त पौधे की जड़ एवं तने को फाड़कर देखने पर उनमें बीच में काली या भूरी रंग की धारियाँ दिखाई देती है। यह कवक पौधों की जडों में प्रवेश कर दारु ऊतक (जाइलम) की वाहिनी को अवरुद्ध कर देता है जिसके फलस्वरुप खाद्य पदार्थ के संचार का संचारण नहीं हो पाता है। फलस्वरूप पौधा सूख जाता है।
प्रबन्धन