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सेमीलूपर (आटोग्राफा निग्रिसिग्ना)

सेमीलूपर (आटोग्राफा निग्रिसिग्ना)

किन्तु इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत में है। इस कीट का प्रकोप उत्तर भारत में मुख्य रुप सें होता है। जब यह लार्वा चलता है तो अपने शरीर के मध्य  में फंदा या लूप बना लेता है हरे रंग का लार्वा आसानी से क्षतिग्रस्त पौधों के पास देखा जा सकता है  यह कीट की गिडारें हरे रंग की होती हैं जो कोमल पत्तियों, कलियों एवं फलियों को खासकर क्षतिग्रस्त करती हैं। चना की फसल में फलियों पर इनका प्रकोप होने पर यह फलियों को लगभग पूरी तरह खा जाती है और केवल डण्ठल ही बचता है। इस कीट की दो संड़ी होती प्रति 10 पौधे की दर से मिलने पर तुरंत फसल सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए। 

सेमीलूपर का प्रबन्धन 

  • बेसिलस थूरिजिएन्सिस (बी.टी.) की कर्स्टकी प्रजाति 1.0 किग्रा. 500-600 ली. पानी में घोलकर प्रति हे. छिड़काव करें।
  • एमामेक्टिन बेंजोएट 0.2 ग्रा./ली. पानी या स्पीनोसैड 45%एस सी @0.25 मिली/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 500-600 ली. पानी पर्याप्त है।