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रतुआ

यह बीमारी यूरोमाइसीज विसियाफेबी के द्वारा पैदा होती है। रोगजनक मुख्यतः ऐसे क्षेत्र में पाये जाते हैं जहाँ की जलवायु गर्म व नम होती है और सामान्यतः ये फूल आने के समय अथवा फली बनने के समय अपना प्रकोप डालते हैं। उत्तर भारत में यह बीमारी अत्यधिक चिंताजनक है। पौधे का तना विकृत हो जाता है तथा इसके प्रभाव से पौधे मर जाते हैं। सबसे पहला लक्षण पीले धब्बे के रूप में जो गोल बीजाणु या लम्बे समूहों में होते हैं। उसके बाद ये हल्के भूरे और पाउडर की तरह दिखते हैं।

प्रबन्धन

  • रोगी पौधे के मलबे तथा कचरे को फसल काटने के बाद जला देना चाहिए।
  • मेन्काजेब (0.2 प्रतिशत) का फसलां पर छिडक़ाव करें।
  • श्रोग दिखायी देने पर करे ।
  • श्रोग रोधी प्रजाती का चयन बुवाई के लिये करें।
  • रोग प्रतिरोधी प्रजातियों का प्रयोग करें।